ऐसा लगता है
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब मैं तुझसे आगे आगे भागता हुआ
अपने छोटे छोटे क़दमों से चलते हुए
तेरी पकड़ से दूर निकलना चाहता था
पर तेरी पहुँच के हमेशा पास
है न माँ,
मेरी माँ,
और मेरे पीछे पीछे हाथों को फैलाए हुए दौड़ती तेरी ममता
पकड़ ही लेती थी मुझे|
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब बैग में मेरा टिफिन रखती औत कहती
ख़त्म कर के आना
और स्कूल से आने के बाद सबसे पहले टिफिन देखती
आज कोई नहीं कहता
खाने को, माँ
खुद ही
पड़ता है खाना बनाना और
अकेले बैठ के खाना,
फिर भी लगता है कि
रसोई से तू बोल रही है,
बेटा एक रोटी और लाऊँ
ऐसी है माँ,
मेरी माँ,
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मुझे बुखार होने पर
तू रात भर नहीं सोई,
भगवान् की तस्वीर के आगे छुप-छुप कर रोई,
मेरे माथे पर गीली पट्टी रखते बदलते
मैंने देखे हैं तेरे आंसू निकलते,
अभी कल मैं बीमार था
शायद मुझे बुखार था
बीह्ग गया था ऑफिस से आने में
कपडे देर से बदले जाने अनजाने में,
बदन तप कर दर्द से टूट रहा था
ऐसा लगा कि तेरा साथ छूट रहा था,
तभी एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आयी,
खुद ही उठ कर पानी लिया और दवा खाई,
जब सोया तो सिराहने पर तुझे पाया
तूने मेरे बालों को सहलाया,
और बोली, सब ठीक हो जायेगा
अभी थोड़ी देर में बुखार उतर जायेगा
सुबह फिर ऑफिस जाना था
पास न होते हुए भी तू थी यही मैंने जाना था,
है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मैं अच्छे नम्बरों से हुआ था पास,
तब तोडा था तूने रिजल्ट वाले दिन का उपवास,
रिजल्ट मेरा आया था
पर उस दिन तू हुई थी पास
अपने हाथों से बना कर मिठाई,
पास पड़ोस में तूने बटवाई
जब मैंने तेरे पैर छुए
तब तेरी आँख छलक आई,
पिछले महीने ही हुआ मेरा प्रमोशन
ऑफिस वालों के सेलिब्रेशन
केक काटा गया
सब में बाटा गया
मैं तलाश रहा था उन आँखों को जो ख़ुशी के मौके पर भी छलकती हैं
उस भीड़ भरे हॉल में मैं था अकेला,
जब मैं अपना रुमाल उठाने के लिए झुका
उसी समय किसी ने मेरे सर को छुआ
दूर रहकर भी रहती है मेरे पास
तू ही है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मेर खोई हुई किताब ढूढ़ने में
तूने सारा घर छान मारा
आस पास के बच्चों से से भी की जांच पड़ताल
ढूंढ कर ही रही तू मेरी किताब हर हाल
आज दुनिया की इस भीड़ में खो गया है तेरा लाल
आज शायद जिंदगी का सफ़र तय करते करते
बहुत दूर निकल आया हूँ
पर आज भी लगता है कि
तेरी ममता भरी आँखें और चमत्कारिक स्पर्श
मौलिक – अमौलिक रूप से मुझे छू रहा है
हैं न माँ
मेरी माँ
और मैं चाह कर भी तुझसे दूर नहीं जा सकता
क्योंकि मैं तो तेरा ही अंश हूँ
और मैं खुद को खुद से अलग तो नहीं कर सकता
क्योंकि मैं तेरी पकड़ से ही तो दूर हूँ
पर तेरी पहुँच के बहुत पास
है न माँ
मेरी माँ
(रवि प्रताप सिंह)
हो सकता है तुम जीत जाओ
मुझसे हर बाजी
बस एक जीत के लिए
सब कुछ हारने को मैं नहीं हूँ राजी
तुम जीतने के बाद टटोलना की क्या क्या हारे हो
अपनों का भरोसा ,
आँखों की नींद
दोस्तों के राज
मन की आवाज
चेहरे की मुस्कान
और तो और देखना कहीं हार तो नहीं गए
अपनी पहचान
ये सब कल तक थे तुम्हारे पास
इस एक जीत के बाद
देखना क्या यह सब
तुम्हारे पास है आज
और अगर नहीं है
तो तुम क्या जीते हो यह तुम जानो
और मैं क्या हारा यह मैं जनता हूँ
क्योंकि मेरे पास तो ये सब है
अब तुम तय करो
की मैं क्या हारा
तुम क्या जीते
हो सकता है तुम जीत जाओ
मुझसे हर बाजी
बस एक जीत के लिए
सब कुछ हारने को मैं नहीं हूँ राजी
Picture credit:https://www.mcall.com/opinion/mc-opi-border-walls-mexico-history-berlin-china-20190104-story.html
Both of us are in the alert mode
Having bullets, gun, pistol, dry ration, first aid kit, water bottle
Responsibility of security for my native citizen
And the smiling pic of my three year old daughter
The promise I made to her that I will come soon, the heaviest load.
And I am very much sure
My so called opponent too have all of these with some change
And both of us were just steps far from each other’s range
Why we are in this mode?
With lots of load
The man on other side of fence too
Wants to go back to his home
Wants to look after his ailing father
Wants to play with his son/daughter
Then why we are following this code
Why we are in this mode?
With lots of load.
Let’s abolish these boundaries and fences
Let’s give tight hug to people across the fence
Let’s see the world with different lens
The lens that see the whole world as a big family
The world where do not exist boundaries
Across the world just one road connecting to other road
In this world we will gaze each other in love mode
This will be more pleasurable load
We will happy to carry and share that
That is love, care and happiness.
I bet this is the most wanted and safe mode for humanity.
Eyes
I have seen eyes,
So many eyes
Naughty and curious eyes
Of kids.
Eyes having fear in it,
Looking here and there,
Eyes having joy,
Wide and open.
Closed eyes in the prayer,
Smiling eyes,
Eyes having doubt on someone,
Eyes as identity of people;
As people are having mask on the face.
Speaking eyes.
Deep eyes having secret in them.
Eyes having tears in it sometime due to happiness and sometime due to grief.
Eyes in quest of knowledge.
Eyes immersed in love.
Eyes having ambition,
Eyes having full make up.
Eyes having desire to see.
Sleeping eyes.
And you know
I have seen these eyes through my eyes
So eyes looking deep in the eyes are mine.
Freedom for me……
Is freedom from those eyes and minds who continuously judge me.
Is freedom from expectations.
Is freedom form strings of hope and hopelessness
Is freedom form all types of threats.
Is freedom from wants and demands.
Is freedom form sense of what others think.
Is freedom from boundaries within human minds and on earth.
Is freedom from all sorts of comparisons.
Is freedom for hunger, thirst and all sorts of illness.
Is freedom from violence, hatred and miseries.
I think the day will come
On that day I will declare my independence
Till then Happy Independence day for you all
I’m waiting for mine
I will wait till my eyes shine.
ऐसा लगता है
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब मैं तुझसे आगे आगे भागता हुआ
अपने छोटे छोटे क़दमों से चलते हुए
तेरी पकड़ से दूर निकलना चाहता था
पर तेरी पहुँच के हमेशा पास
है न माँ,
मेरी माँ,
और मेरे पीछे पीछे हाथों को फैलाए हुए दौड़ती तेरी ममता
पकड़ ही लेती थी मुझे|
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब बैग में मेरा टिफिन रखती औत कहती
ख़त्म कर के आना
और स्कूल से आने के बाद सबसे पहले टिफिन देखती
आज कोई नहीं कहता
खाने को, माँ
खुद ही
पड़ता है खाना बनाना और
अकेले बैठ के खाना,
फिर भी लगता है कि
रसोई से तू बोल रही है,
बेटा एक रोटी और लाऊँ
ऐसी है माँ,
मेरी माँ,
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मुझे बुखार होने पर
तू रात भर नहीं सोई,
भगवान् की तस्वीर के आगे छुप-छुप कर रोई,
मेरे माथे पर गीली पट्टी रखते बदलते
मैंने देखे हैं तेरे आंसू निकलते,
अभी कल मैं बीमार था
शायद मुझे बुखार था
बीह्ग गया था ऑफिस से आने में
कपडे देर से बदले जाने अनजाने में,
बदन तप कर दर्द से टूट रहा था
ऐसा लगा कि तेरा साथ छूट रहा था,
तभी एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आयी,
खुद ही उठ कर पानी लिया और दवा खाई,
जब सोया तो सिराहने पर तुझे पाया
तूने मेरे बालों को सहलाया,
और बोली, सब ठीक हो जायेगा
अभी थोड़ी देर में बुखार उतर जायेगा
सुबह फिर ऑफिस जाना था
पास न होते हुए भी तू थी यही मैंने जाना था,
है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मैं अच्छे नम्बरों से हुआ था पास,
तब तोडा था तूने रिजल्ट वाले दिन का उपवास,
रिजल्ट मेरा आया था
पर उस दिन तू हुई थी पास
अपने हाथों से बना कर मिठाई,
पास पड़ोस में तूने बटवाई
जब मैंने तेरे पैर छुए
तब तेरी आँख छलक आई,
पिछले महीने ही हुआ मेरा प्रमोशन
ऑफिस वालों के सेलिब्रेशन
केक काटा गया
सब में बाटा गया
मैं तलाश रहा था उन आँखों को जो ख़ुशी के मौके पर भी छलकती हैं
उस भीड़ भरे हॉल में मैं था अकेला,
जब मैं अपना रुमाल उठाने के लिए झुका
उसी समय किसी ने मेरे सर को छुआ
दूर रहकर भी रहती है मेरे पास
तू ही है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मेर खोई हुई किताब ढूढ़ने में
तूने सारा घर छान मारा
आस पास के बच्चों से से भी की जांच पड़ताल
ढूंढ कर ही रही तू मेरी किताब हर हाल
आज दुनिया की इस भीड़ में खो गया है तेरा लाल
आज शायद जिंदगी का सफ़र तय करते करते
बहुत दूर निकल आया हूँ
पर आज भी लगता है कि
तेरी ममता भरी आँखें और चमत्कारिक स्पर्श
मौलिक – अमौलिक रूप से मुझे छू रहा है
हैं न माँ
मेरी माँ
और मैं चाह कर भी तुझसे दूर नहीं जा सकता
क्योंकि मैं तो तेरा ही अंश हूँ
और मैं खुद को खुद से अलग तो नहीं कर सकता
क्योंकि मैं तेरी पकड़ से ही तो दूर हूँ
पर तेरी पहुँच के बहुत पास
है न माँ
मेरी माँ
(रवि प्रताप सिंह)
HELLO LOVELIES
Let's do something interesting, whosoever will reblog this will get something in their inbox, based on their blog or maybe something else. But will definitely get something🦋💕🥀
Mountain, trees, flowing water in stream, paddy planting, step fields what else you need to fall in love with nature. Soothing to eyes and massage to mind. I love it.
Listen the music of nature around you. Water the magical liquid we have. Almost everyone has undeclared romance with running water. It bring back the child hidden somewhere in adults.
बात
बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
अब मजदूर की बात
हुजूर तक जाएगी
बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
मजबूर की बात
मशहूर तक जाएगी
बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
यह नया दौर है दोस्तों
यहाँ हर बात पे सबका गौर है
अब अत्याचार के पीड़ितों की आवाज दबेगी नहीं
कोयले के खदानों में काम काम करने वालों की सिसकियाँ नहीं दबेगी अब
वहां से निकल कर अब ये कोहिनूर तक जाएगी
बात निकलेगी तो अब दूर तक जाएगी
जब भी कुछ असहज लगे
कह दीजिये
मन में न रखिये कह दीजिये
क्योंकि बात का होते रहना बहुत जरूरी है
समझ में आना चाहिए की आपकी क्या मजबूरी है
यह तय नहीं है की कोई रास्ता दिखायेगा
पर यह तय है की कोई तो रास्ता आएगा
यह नया जमाना है आज का
एक बार धीरे से ही सही बात को निकलने दीजिये
बस
क्योंकि बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
Whenever I feel low and lost I just go to her and she always welcome me with open arms and I emersed deep into her. Came out recharged and refresh.
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